लोग - बाग



ये शहर
जो मेरा, तुम्हारा, हम सब का है,
हर बार
जलने की ताक में लगा रहता है,
इस शहर के लोग भी।
हम असामाजिक तत्व बोल कर
हर बार दिलासा दे देते हैं ख़ुद को,

पता तुम्हें भी है कि
हर दिमाग में यही तत्व बसते हैं।
हर कोने में
हिन्दू - मुस्लिम भाई - भाई का झूठ पलता है।
और सच...
सच बस एक दूसरे की लाल आंखें हैं।

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