प्रथम प्रेम




यूं तो पहला प्यार, प्यार नहीं होता
रंगीन ख्वाब होता है कोई,
जो साथ मिलकर देखते दो लोग
हर बीतते दिन और रात में।

तारे गिनते एक दूसरे के साथ
इस बहाने कि बातें खतम ना हो जाए।
और बातें खतम होने से बचाने को
अब असंख्य बहाने सीख चुका हूं मैं।

तुम सांसें सुनना जानते हो?

उसके इस सवाल पर ज़ुबां पर चुप्पी जायज़ थी मेरी,
पहली बार जो सुना था कुछ ऐसा।
ना मालूम तो बताता चलूं
मेरा ये पहला इश्क़, उसका पहला ना था।

हां, उसे मालूम था कि रातों और बातों में क्या मेल होता है।
मौसम दर मौसम बातों का तापमान क्या होना चाहिए,
उसे मालूम था।
हर रात सीखता कुछ नया
जैसे प्रेम सीखना विद्या हो कोई, और मैं एकलव्य।

आज अगर एहसान ना मानूं तो
फ़रामोश हो जाऊंगा मैं,
सांसें सुनना, साथ सपने देखना
चुगली करना, तारे गिनना और दिखाना
सब सिखाया था उसने।

सच कहूं,
समंदर भर इश्क़ सीखने की लालच में
बस इश्क़ सहेजना सीख नहीं पाया
और अब वक़्त की तंगी है।

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